Hanuman Mantra for Marriage.

Vivah Ke Liye Shiv Mantra – शादी में विवाह आ रही है अड़चन.


Shiv Puja: शादी में विवाह आ रही है अड़चन तो सोमवार को भगवान शिव का इस मंत्र के साथ करें अभिषेक.

Hanuman Mantra for Marriage.
Hanuman Mantra for Marriage.

Shiv Puja: शादी विवाह में आने वाली अड़चन को दूर करने में शिव पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा वर मिलता है और विवाह में आने वाले परेशानियां भी दूर होती हैं.

Shiv Puja Mantra In Hindi: पंचांग के अनुसार 23 नवंबर को सोमवार के दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन कार्तिक शुक्ल की नवमी तिथि है. नवमी पर चंद्रमा कुंभ राशि में रहेंगे. इस दिन शतभिषा नक्षत्र है, जिसका स्वामी राहु है. विशेष बात ये है कि इस दिन विवाह के कारक माने जाने वाले देव गुरु बृहस्पति राशि परिवर्तन कर चुके हैं. बृहस्पति 20 नवंबर से शनि की अपनी राशि मकर में शनि के साथ गोचर कर रहे हैं.

ज्योतिष शास्त्र में पुरूष के लिए शुक्र और स्त्री के लिए बृहस्पति को विवाह का कारक माना गया है. शुक्र भी शुभ स्थिति में बैठे हुए है. 17 नवंबर 2020 से शुक्र भी अपनी राशि यानि तुला राशि में आ चुके हैं. हालांकि मकर राशि में बृहस्पति नीच के माने जाते हैं लेकिन बृहस्पति किसी को हानि नहीं पहुंचाते हैं. शनि के साथ बृहस्पति का संबंध सम है. इसलिए इस दौरान जिन लोगों की विवाह में देरी आ रही है थी वह अब दूर हो सकती है.

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सोमवार को करें भगवान शिव की पूजा सोमवार को शिव पूजा से बृहस्पति ग्रह को बल मिलता है. वहीं शिव जी प्रसन्न होते हैं. सोमवार के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है. सोमवार को पंचांग के अनुसार प्रात: 11 बजकर 46 से दोपहर 12 बजकर 28 तक अभिजीत मुहूर्त बना हुआ है. इस मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करें. अभिजीत मुहूर्त में किए गए कार्य का अभिजीत फल प्राप्त होता है.

शिव जी का इन मंत्रों से करें अभिषेक 1: ॐ नम: शिवाय 2: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र: सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराये नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥ मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराये मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥ शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाये श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥ अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।

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How to invoke gunja. – गुंजा का आह्वान कैसे करें।


किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार के दिन 1 तांबे का सिक्का, 6 लाल गुंजा बीज कोरे लाल कपड़े में बांधकर सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे के बीच में किसी सुनसान जगह में अपने ऊपर से 11 बार उतार कर 11 इंच गहरा गङ्ढा खोदकर उसमें दबा दें। ऐसा 11 बुधवार करें। दबाने वाली जगह हमेशा नई होनी चाहिए।

गुंजा से सम्मोहन वशीकरण टोटके प्रयोग


बंधुवर, आज हम अपने इस लेख में आपके लिए लेकर आए हैं गुंजा के कुछ चमत्कारिक उपयोग | गुंजा के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे | यह एक तरह की लता का बीज ही है जो लाल, काले और सफेद रंग में उपलब्ध है | इसके अन्य चर्चित नाम भी है | जैसे– हब, सुफेद, रत्ती, चश्मेखरूस, धुंधची, लडय्या, चोटली आदि | दिखने में तो यह है छोटी लेकिन इसके चमत्कार है बड़े | लाल, काला और सफेद अलग-अलग रगों में मिलने वाले इन दानों के चमत्कार भी अलग-अलग है | प्रयोग में लाने के पहले इन्हें अभिमंत्रित करना जरूरी है |

गुंजा से सम्मोहन वशीकरण टोटके प्रयोग
गुंजा अभिमंत्रित कैसे करें

गुंजा को अभिमंत्रित करने के लिए सबसे पहले उन्हें शुद्ध करें | इसके लिए आप दूध में गंगाजल मिलाकर एक बर्तन में रखे और इसमें गुंजा के दानों को डाल दे | इसे अच्छी तरह हिलाकर साफ करे | अब इन दानों को निकाल कर दूसरे बर्तन में डालें और ऊपर से थोड़ा स्वच्छ पानी डालकर उसे अच्छी तरह साफ करें | फिर इन्हें बाहर निकाल कर शुद्ध कपड़े से सुखा लें | उसके बाद दानों को हाथ में लें और सुमेरू वाले स्थान पर तिलक करे रोली से | इसके बाद इन पर पुष्प और चावल चढ़ाएं | अब ईश्वर से निवेदन करते हुए प्रार्थना करें कि उन अभिमंत्रित किए जाने वाली गुंजा को शक्ति मिले |

गुंजा को अभिमंत्रित करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का प्रयोग करें —

”ओम् उडामरेश्चाय सर्व जगमेहनाय अं आ इं ई उं ऊं ऋं ऋं फट स्वाहा”

सफेद गुंजा को अभिमंत्रित करने के लिए शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का चयन करें | इस दिन प्रात: काल स्नानोपरान्त स्थानांतरण पूजा स्थल पर बैठ जाएं हाथ में कुछ दाने सफेद गुंजा के रख कर | अब १०८ बार ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें | प्रत्येक बार मंत्र समाप्त होने के बाद हाथ में लिए हुए गुजां पर फूंक मारते जाए तथा उस पर लौंग/इलाइची/ मिश्री का दाना चढ़ाते जाए | दूसरी बार फूक मारने के पहले, पहले वाले दाने को किसी दूसरे बर्तन पर रखिए | इस क्रिया को लगातार १०८ बार मंत्र बोलते हुए दोहराएं |
लाल या काली गुंजा को अभिमंत्रित करने के लिए आप अमावस्या, ग्रहण काल, होली, दीपावली, दशहरा या पूर्णिमा के दिन का चयन करें | समय रखें अर्धरात्रि का | नहा-धोकर खुले आसमान के नीचे काले रंग के आसन को बिछाकर हाथ में काली या सफेद गुंजा के कुछ दाने लेकर ऊपर दिए गए मंत्र का ही जाप करे १०८ बार | हर बार दानों पर फूंक मारे व ऊपर दी गई विधि की तरह ही लौंग या इलाइची या मिश्री की क्रिया को दोहराए |
…. बस अभिमंत्रित हो गए गुंजा के ये दाने |

गुंजा का प्रयोग/आकर्षण सम्मोहन करने के लिए

१) काली गुंजा के बीज को घस लें | अब इस बनी हुई स्याही से उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसे आपको परास्त करना है | कुछ दिन बाद गुंजा को कहीं दबा दें |

२) कभी-कभी लाल रंग की गुंजा की माला को धारण करने से सामने वाला व्यक्ति सम्मोहित हो जाता है |

३) सफेद गुंजा को कपड़े में बांध ले शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को | इसे अपने पूजा-स्थान में स्थापित करें | प्रतिदिन गणेश जी का ध्यान कर इस पर चावल और फूल चढ़ाए | परस्पर सौहाद्र बना रहेगा परिवार के सदस्यों में |

४) लाल गुंजा के ११ दाने तथा ५ दाने सफेद गुंजा के धनतेरस के दिन ले लें | अब इसके साथ नागकेसर को रखें एक डिब्बी (धातु की) में बंद करके | दीपावली वाले दिन विधि विधान से इसकी पूजा करें | आपका आर्थिक पक्षी उज्ज्वल रहेगा |

५) ताबीज की तरह गुंजा की जड़ को बाँध दे गर्भवती स्त्री के कमर में | प्रसव के वक्त वह सुरक्षित रहेगी तथा प्रसव पीड़ा का अनुभव भी कम होगा |

६) सफेद गुंजा के दाने को सोते वक्त अपने तकिये के नीचे रख कर नीचे दिए गए मंत्र का जाप करे | शत्रु के भय से मुक्ति मिलेगी | मंत्र है–”ॐ नमो अग्नि रूपाय ह्नीं नमः |”

७) “ओम् हौं जूं स: “ इस मंत्र का जाप करें होलिका दहन के समय और ११ बार परिक्रमा करें उल्टी अग्नि की होलिका दहन के समय | हर परिक्रमा के बाद एक गुंजा अपने सिर के ऊपर से वारकर अग्नि में प्रजव्वलित करें | स्वास्थ्य में लाभ शीघ्र ही शुरू होगा |

८) गुंजा की ब्रासलेट उसके बनवाकर उसे कलाई पर पहने | नजर दोष से मुक्ति मिलेगी |

९) ५ लाल रंग की गुंजा को भिगोकर रख दें शहद में | ५ दिन तक रोज कुछ समय के लिए इन्हें देख कर आकर्षित करने वाले व्यक्ति का ध्यान करें | अब पाँचवे दिन उसे किसी एकांत स्थान देखकर दबा दे शहद सहित |

लाल/काली गुंजा से वशीकरण टोटके

१) गूंजा के कुछ दानों को अभिमंत्रित कर ले | अब इन अभिमंत्रित दानों को उस व्यक्ति के कपड़ों में रख दें जिसे आपको वश में करना है | जब तक यह दानें बंधे रहेंगे व्यक्ति के कपड़ों से, वह आपके वशीकरण से प्रभावित रहेगा |

२) मिट्टी के एक दीपक में शहद डालें | अब इसमें ५ दाने गुंजा के डाल दे उसका नाम लेकर जिसे आप वश में करना चाहते हैं | तत्काल प्रभाव देखने को मिलेगा |

३) गुंजा की जड़ को घसकर पेष्ट बना ले | इससे तिलक लगाकर जिसके सामने आप जाएगें वह आप से वशीभूत हो जाएगा |

४) गंगाजल अथवा कुआं के जल मे भीगों दे गूंजा की जड़ को | अब इसे आप चंदन की तरह घस लें और अपने माथे पर लगा लें | इसे लगा कर आप जिस सभा स्थल अथवा समारोह पर जाएंगे वहां पर सभी आप से वशीभूत हो जाएगें |

५) जिस व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं उसके घर में रात के समय अभिमंत्रित किए हुए गुंजा के कुछ दाने चुपचाप फेंक दे मंगलवार या शनिवार के दिन | वह आप के वशीभूत हो जाएगा |

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ismail jogi mantra.GURU GORAKHNATH SHABAR MANTRA

Gorakhnath Shabar Mantra – श्री गुरु गोरखनाथ का शाबर मंत्र


लोहे का कड़ा हमारी पीठ पीछे यति हनुमंत खड़ा, शब्द सांचा पिंड काचास्फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।।

श्री गुरु गोरखनाथ का शाबर मंत्र~GURU GORAKHNATH SHABAR MANTRA.
श्री गुरु गोरखनाथ का शाबर मंत्र

विधि – सात कुओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी को स्नान करवाए तो उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता है.

मंत्र

ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में कील, जहां से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फेर न सूरत दिखाए, हाथ कूँ, नाक कूँ, सिर कूँ, पीठ कूँ, कमर कूँ, छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फुरे, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र इश्वरोवाचा.
मन्त्रः-
“ॐ गों गोरक्षनाथ महासिद्धः, सर्व-व्याधि विनाशकः ।
विस्फोटकं भयं प्राप्ते, रक्ष रक्ष महाबल ।। १।।
यत्र त्वं तिष्ठते देव, लिखितोऽक्षर पंक्तिभिः ।
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वातपित्त कफोद्भवाः ।। २।।
तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपाः क्षयम् ।
शाकिनी भूत वैताला, राक्षसा प्रभवन्ति न ।। ३।।
नाऽकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दश्यते ।
अग्नि चौर भयं नास्ति, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं गों ।। ४।।
ॐ घण्टाकर्णो नमोऽस्तु ते ॐ ठः ठः ठः स्वाहा ।।”

विधिः- यह मंत्र तैंतीस हजार या छत्तीस हजार जाप कर सिद्ध करें । इस मंत्र के प्रयोग के लिए इच्छुक उपासकों को पहले गुरु-पुष्य, रवि-पुष्य, अमृत-सिद्धि-योग, सर्वार्त-सिद्धि-योग या दिपावली की रात्रि से आरम्भ कर तैंतीस या छत्तीस हजार का अनुष्ठान करें । बाद में कार्य साधना के लिये प्रयोग में लाने से ही पूर्णफल की प्राप्ति होना सुलभ होता है ।
विभिन्न प्रयोगः- इस को सिद्ध करने पर केवल इक्कीस बार जपने से राज्य भय, अग्नि भय, सर्प, चोर आदि का भय दूर हो जाता है । भूत-प्रेत बाधा शान्त होती है । मोर-पंख से झाड़ा देने पर वात, पित्त, कफ-सम्बन्धी व्याधियों का उपचार होता है ।
१॰ मकान, गोदाम, दुकान घर में भूत आदि का उपद्रव हो तो दस हजार जप तथा दस हजार गुग्गुल की गोलियों से हवन किया जाये, तो भूत-प्रेत का भय मिट जाता है । राक्षस उपद्रव हो, तो ग्यारह हजार जप व गुग्गुल से हवन करें ।
२॰ अष्टगन्ध से मंत्र को लिखकर गेरुआ रंग के नौ तंतुओं का डोरा बनाकर नवमी के दिन नौ गांठ लगाकर इक्कीस बार मंत्रित कर हाथ के बाँधने से चौरासी प्रकार के वायु उपद्रव नष्ट हो जाते हैं ।
३॰ इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जप करने से चोर, बैरी व सारे उपद्रव नाश हो जाते हैं तथा अकाल मृत्यु नहीं होती तथा उपासक पूर्णायु को प्राप्त होता है ।
४॰ आग लगने पर इक्कीस बार पानी को अभिमंत्रित कर छींटने से आग शान्त होती है ।
५॰ मोर-पंख से इस मंत्र द्वारा झाड़े तो शारीरिक नाड़ी रोग व श्वेत कोढ़ दूर हो जाता है ।
६॰ कुंवारी कन्या के हाथ से कता सूत के सात तंतु लेकर इक्कीस बार अभिमंत्रित करके धूप देकर गले या हाथ में बाँधने पर ज्वर, एकान्तरा, तिजारी आदि चले जाते हैं ।
७॰ सात बार जल अभिमंत्रित कर पिलाने से पेट की पीड़ा शान्त होती है ।
८॰ पशुओं के रोग हो जाने पर मंत्र को कान में पढ़ने पर या अभिमंत्रित जल पिलाने से रोग दूर हो जाता है । यदि घंटी अभिमंत्रित कर पशु के गले में बाँध दी जाए, तो प्राणि उस घंटी की नाद सुनता है तथा निरोग रहता है ।
९॰ गर्भ पीड़ा के समय जल अभिमंत्रित कर गर्भवती को पिलावे, तो पीड़ा दूर होकर बच्चा आराम से होता है, मंत्र से १०८ बार मंत्रित करे ।
१०॰ सर्प का उपद्रव मकान आदि में हो, तो पानी को १०८ बार मंत्रित कर मकानादि में छिड़कने से भय दूर होता है । सर्प काटने पर जल को ३१ बार मंत्रित कर पिलावे तो विष दूर हो ।

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