Ismail Jogi mantra. – इस्माइल जोगी मंत्र।


Ismail Jogi mantra. – इस्माइल जोगी मंत्र।

इस्‍माइल जोगी का परिचय Introduction to Ismail Jogi.

इस्‍माइल जोगी का परिचय Introduction to Ismail Jogi आज हम बात करेंगे इस्माइल जोगी के बारे में किस बारे जोगी कौन है और कहां से आए और क्या है इनके बारे में कुछ ऐसे ही राज समय बातों को बताने के लिए मैं आप लोगों के सामने आया हूं महायोगी गोरखनाथ जी ने माना जाता है जितने भी देवी देवताओं के साबर मंत्र है चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित क्यों ना हो उन सभी के जन्मदाता श्री गोरखनाथ के नाथ और दशनामी संप्रदाय के लोग जब भी आपस में मिलते हैं

तो एक दूसरे से मिलते वक्त आदेश और नमो नारायण नाथ संप्रदाय की स्थापना आदिनाथ भगवान शिव द्वारा मानी जाती है आदिवासियों से मत्स्येंद्रनाथ ने ज्ञान प्राप्त किया मछिंद्रनाथ के शिष्य गुरु गोरखनाथ द्वारा परिवर्तित भारती मार्ग नाथ संप्रदाय के नाम से प्रसिद्ध हुआ इस संप्रदाय के साधक अपने नाम के आगे नाथ शब्द को जोड़ते कान छिदवाने के कारण दर्शन करने का नाती भी कहा जाता है पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुसलमान जोगियों के दर्जनों गांव है इस गांव में ऐसे मुसलमान जोगी रहते हैं जो नाथ पंक्तियों की तरह गिर में रंग का वस्त्र यानी कि ऑरेंज कलर के कपड़े और हाथ में सारंगी लिए गांव-गांव गोपीचंद और राजा भरतरी के गोरखनाथ के प्रभाव में सन्यासी हो जाने की लोक कथा गीत गाते फिरते रहते हैं.

ग्रामीण इन्हें बैठ के स्वरूप में अनाज और नकद पैसे देते हैं और बड़े चाव से वह गोरखनाथ की महिमा का वर्णन करने बैठते सुनते हैं यह जो भी कौन है उनका क्या इतिहास है और उनका गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित नाथ संप्रदाय से क्या लेना देना है इसको आज बहुत कम ही लोग जानते हैं पहले यह मुसलमान जोगी खूब देखे जाते थे लेकिन आप बहुत कम दिखाई देते हैं नाथ पंथ को मानने वाली बहुत सी झांकियां घर भारी हो गई देश के हर हिस्से में जातियों का अस्तित्व है इनमें से बुनाई के पेशे वाले तमाम जातीया है जाती है इनमें मुसलमानों की भी पंजाब के ग्रस्त रोगियों को रावल कहा जाता है और यह लोग भीख मांगकर जादुई करमाकर हाथ देख कर अपनी जीविका चलाते हैं बंगाल की झुग्गी या जोगी कहने वाली भी कई जातियां हैं उनके आश्रम में रहने वाले इस्माइल जोगी के बारे में आज मैं आपको बताऊंगा योगियों का बड़ा महत्व संप्रदाय अवध लखनऊ काशी यानी कि बिहार और बंगाल में फैला हुआ था यह लोग इनका पैसा जुलाई और धुनिया का काम था आज भी गोपीचंद भरतरी की कहानी सुनाने वाले मुसलमान योगी योगी योगी कहते हैं.

उन मुसलमानों के गांव गोरखपुर कुशीनगर देवरिया संत कबीर नगर आजमगढ़ बलरामपुर में आज भी मिलते हैं अब यह परंपरा को धीरे-धीरे उनके प्रभाव पड़ रहा है कुछ लोग अपनी माली हालत को लेकर बहुत परेशान और तंग आ चुके हैं आप चाहे तो इनका वीडियो यूट्यूब पर टाइप करके आप मुस्लिम सकते हैं ढोकले गोरखनाथ की भूमि से आया हुआ बताकर उन्हें खूब दान देते हैं हम बात करेंगे गुरु इस्माइल जोगी के नाम से इस्माइल जोगी के नाम से इन्हें आज भी जाना जाता है कि आसाम बंगाल के रहने वाले सभी जोगियों की तरह यह भी तुम भी सितार लेकर गांव में गांव गांव जाकर राजा भरतरी और गोपीचंद की कहानियां सुनाकर अपना जीवन यापन करते थे

यह सारा हिंदुस्तान घूमने के बाद गुरु गोरखनाथ के शिष्य बन गए और तंत्र विद्या को सच्चे दिल से और विश्वास आस्था के साथ उन्होंने सीखा उन्होंने धर्म नहीं देखा जात पात भेदभाव नहीं देखा और गुरु गोरखनाथ के भक्त बन गए कहते हैं कि गुरु गोरखनाथ द्वारा हुआ तंत्र भी इस्माइल जोगी किया करते थे कि मिट्टी के खिलौने को होगा अपने आप चलने लगता था यह सब उनके गुरु की महिमा की असीम कृपा तुम पर क्योंकि गुरु बिना ज्ञान नहीं गुरु गोरखनाथ ने भी उन्हें स्वीकार कर लिया और अपना शिष्य बना लिया उन्होंने अपने गुरु से प्रार्थी जोगी ने उन्होंने मां कामाख्या को उन्हीं के साथ गुरु गोरखनाथ हुआ करती थी और आज भी आपने इस्माइल जोगी की आन जोगी की दुहाई दी जाती है ज्यादातर वशीकरण के काम में इस्माइल जोगी का नाम ज्यादातर लिया जाता है Ismail Jogi.

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