वशीकरण मंत्र प्रयोग
कभी कभी हमें महसूस होता है की वशीकरण मंत्र प्रयोग करे किसी स्त्री या पुरुष को अपना बनाने के लिए/अपने काबू में करने के लिए| जिंदगी में ऐसे कई मौके आते हैं जब किसी रिश्ते के स्त्री, पुरुष या अन्य व्यक्ति को वशीभूत या अपनी ओर सम्मोहित करने की अति आवश्यकता महसूस होती है। पुरुष की चाहत होती है कि उसकी पत्नी आज्ञाकारी व धर्मपरायण बनकर उसके वश में रहे। कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका का प्रेम और सम्मोहन काफी शिद्दत के साथ पाना चाहता है। इसी तरह से प्रत्येक स्त्री या प्रेमिका क्रमशः अपने पति या प्रेमी पर संपूर्ण अधिकार बनाए रखने की चाहत रखती है। जरूरत पड़ने पर वह पुरुष वशीकरण के उपायों का प्रयोग करती है। कार्यक्षेत्र में मुख्य पदाधिकारी अपने कर्मचारियों को वश में रखने की मंशा रखता है, तो कर्मचारी भी अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी पर सम्मेहन बनाए रखने की कोशिश करते हैं।
वशीकरण मंत्र प्रयोग
वशीकरण के विभिन्न प्रयोग स्त्री या पुरुष द्वारा तंत्र-मंत्र की साधना के बाद आंतरिक शक्ति के जागृत होने पर किए जाते हैं। इसके लिए वशीकरण मंत्र का विधि-विधान से स्पष्ट उच्चारण के साथ शुभ मुहूर्त में किए गए जाप से आत्मविश्वास में मजबूती आती है। व्यक्ति के भीतर आंतरिक ऊर्जा संग्रहित हो जाती है। दुगर्म से दुर्गम कार्य करने के सिलसिले में हिचकिचाहट दूर हो जाती है। बाधाएं सहजता से पार की जा सकती है। वैसे वशीकरण एक तरह से अदृश्य सम्मोहन है। अलग-अलग समस्याओं के लिए वशीकरण के खास विभिन्न मंत्र हैं, जिन्हें उपयोग करने से पहले जाप कर सिद्ध किया जाता है। आईए, जानते हैं कि किस कार्य के लिए कौन सा मंत्र किसके द्वारा जाप किया जाना सही होता है।
सार्वजनिक वशीकरणः प्रत्येक व्यक्ति, चाहे कोई सगा हो या फिर कार्यक्षेत्र से संबंधित अन्य व्यक्ति, उन्हें अपने प्रभाव और आभामंडल से सम्मोहित करने का मूल मंत्र है-
ओम क्लीं नमो नारायणाय सर्वलोकान्मम वश्यं कुरु स्वाहा।
इस मंत्र को किसी पर्व-त्यौहार या ग्रहण के समय पुरश्चरण पद्धिति अर्थात नियमित माला की संख्या के अनुसार किए गए जाप व साधना से सिद्ध किया जाता है। इसकी सिद्धि के लिए होली, दीपावली, शिवरात्री, सूर्य या चंद्र ग्रहण काल, अमावस्या की रात्री के तीसरे पहर अर्थात बारह बजे से तीन बजे के बीच उपयुक्त माना गया है। किसी वस्तु पर मंत्र को जाप के क्रम में फूंक मारने से वह वस्तु अभिमंत्रित हो जाती है। उसके बाद वशीकरण के विविध प्रयोग किए जाते हैं।
इसके अतिरिक्त दुर्लभ वशीकरण प्रयोग भी किये जा सकते हैं। इससे संबंधित दो महत्वपूर्ण मंत्रों को जाप क्रमानुसार किसी सिद्ध गुरु के सान्निध्य मं दीक्षा लेकर पूरे विधि-विधान के साथ किया जाता है।
क्लीं क्रीं हुं क्रों स्फ्रां कामकालकाली स्फ्रां क्रों हुं क्लीं स्वाहा।।
ओम ह्रीं क्लीं अमुकी क्लेदय क्लेदय आकर्षय आकर्षय
मथ-मथ, पच-पच द्रावय द्रावय मम सान्निधि आनय आनय हुं हुं ऐं ऐं श्रीं श्रीं स्वाहा।।
इन दोनों मंत्रों की साधना का प्रयोग कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस दिन मंगलवार का होना भी जरूरी है। मंत्र सिद्धि के लिए आवश्यक वस्तुओं में कत्था लगे पान की जरूरत होती है। उसपर वशीकरण किए जाने वाले व्यक्ति का नाम लिखकर पहले मंत्र के 108 बार जाप के बाद पान पर फूंक मार दिया जाता है। उसके बाद दूसरे मंत्र का जाप पान को धीरे-धीरे चबाते हुए तब तक करना होता है, जबतक कि पान खत्म न हो जाए। पान का पत्ता खत्म होने के बाद थोड़ा पानी पीते हुए वश में करने वाले व्यक्ति को याद किया जाता है। इसी के साथ एक बार फिर पहले मंत्र के जाप के साथ मंत्र सद्धि का पूर्ण हो जाता है।
पति वशिकरणः इसके लिए विशेष मंत्र अचूक असरकारी प्रभाव देता है। पति को वशीभूत करने के लिए किसी ग्रहण काल के पूरे समय तक निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए। उसके बाद गोरेचन को घिसते हुए इस मंत्र को सात बार जाप से सिद्ध करना चाहिए। आवश्यकतानुसार प्रातःकाल इस शक्ति प्राप्त गोरेचन का तिलक लगाकर सोए हुए पति को मुस्कान के साथ जगाना चाहिए। पति वशीकरण का वह मंत्र हैः-
जन मन मंजु मुकुर मल हरनी। कियें तिलक गुन गन बस करनी।।
एक अन्य मंत्र है– ओम नमो महायक्षिण्यै मम पतिं भे मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। इसे पर्व काल में सिद्ध कर विभिन्न विधियों के साथ प्रयोग में लाया जाता है। इसके प्रयोग से दूसरी स्त्री के चक्कर में आए या वेश्यागामी हो चुके पति को पत्नी अपनी ओर अकर्षित करने में सफल हो सकती है। मंत्र जाप के दौरान ‘महायक्षिण्यै’ शब्द के बाद उस स्त्री का नाम लिया जाना चाहिए जिससे पति को मुक्त करवाना है।
पत्नी वशिकरण मंत्रः दांपत्य में तनाव होने या बात-बात पर पत्नी की तरफ से अपसी मतभेद के उभरने की स्थिति में स्त्री वशीकरण मंत्र के प्रयोग से ही प्रेम में प्रगाढ़ता आ सकती है। यह प्रयोग पत्नी की भावनाओं को नियंत्रित करने में सहायक है, तो उसके मन और शरीर के ऊपर अधिपत्य जताना भी सहज हो जाता है। दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के उस मंत्र को कामिनी मोहनी मंत्र कहा गया है। वह मंत्र हैः- ओम भगवते रुद्राय सर्वजगमाहनं कुरु कुरु स्वाहा।
इस मंत्र की सिद्धि का कार्य पूरे एक हप्ते में पूर्ण होता है, जिसे एक शनिवार से शुरूआत कर अगले शनिवार को समाप्त किया जाता है। इसके प्रयोग से दूसरे पुरुष की तरफ आकर्षित हो चुकी स्त्री अर्थात परपुरुषगामी पत्नी को भी सही मार्ग पर लाया जा सकता है, तो प्रेमिका को भी सम्मोहित किया जा सकता है।
स्त्री को वशीकरण में लाने के लिए एक और मंत्र हैः-
ओम क्लीं नमः कमाक्ष्यै दैव्यै अमुकी भे
मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।।
इस मंत्र के प्रयोग में लाने से पहले सवा लाख बार जाप कर विभिन्न वस्तुओं में तिलक लागाने की सामग्री, गोरेचन, कमल के पत्त, धतुरे के फूल आदि को अभिमंत्रित कर लिया जाता है। इसमें अमुक शब्द के स्थान पर वशीकरण की जाने वाली स्त्री का नाम लिया जाता है। इसके चमत्कारी प्रभाव देखने को मिले हैं। पत्नी, प्रेमिका या स्त्री को वशीकृत करने के अन्य मंत्र हैंः-
क्लीं नमो भगवती मंगलेश्वरी सर्वसुखरंजिनी सर्वधर्म मातगीं
अमुक कुमारी भे लघु लघु वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।
इस मंत्र से सहदेवी की जड़ का अभिमंत्रित किया जाता है। इससे संबंधित विधि-विधान की शुरुआत रविवार को पुष्य नक्षत्र में शनिवार के दिन से शुरू की जाती है। जिसमें सहदेवी को लाने से लेकर उसे सिद्ध करने तक की विधियां अपनाने का विधान है। मंत्र में अमुक शब्द के स्थान पर सम्मोहित करने वाली स्त्री का नाम लिया जाता है।
अन्य मंत्र हैंः- ओम क्षों ह्रीं ह्रीं आं ह्रीं स्वाहा।
तीब्र वशीकरण मंत्रः मंत्र का प्रभाव तेजी से हो इसके लिए महाकाल शाबर मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है। सुख-संपत्ति, घर-द्वार, कार्य में सफलता और सौभाग्य प्राप्ति के लिए इस मंत्र को हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि श्रद्ध, विश्वास और अनुष्ठान के साथ सिद्ध करने के बाद ही प्रयोग करना चाहिए। वह मंत्र हैः-
सात पूनम कालका, बारह बरस क्वांर, एको देवि जानिए चैदह भुवन द्वार।
द्विपक्षे निमर्लिए, तेरह देवन देव, अष्टभुजी परमेश्वरी ग्यारह रूद्र सेव।
सोलह कला संपूर्णी तीन नयन भरपूर, दशो द्वारी तू ही मां, पांचों बाजे नूर।
नव-निधि षट्दर्शनी, पंद्रह तिथि जान, चारों युगों में काल का कर काली कल्याण।
इस मंत्र की सिद्धि माता काली के मंदिर में एकांत स्थान पर होली, दीपावली, नवरात्र या ग्रहण काल में किया जाता है।
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